रिक्त अब शेष नहीं
वह पहला स्थान, तुम्हें ना अब दे पाऊंगी
माफ करना ऐ चांद, रिक्त अब शेष नहीं
रोम रोम का हर एक कोना
उसकी चमक ,दमक,धमक ,धुन से भरा हुआ है
किसी की हो चुकी ऐ चांद तुम्हारी न बन
पाऊंगी ,
रिक्त अब शेष नहीं की स्थान तुम्हें दे पाऊंगी,
ऐ चांद छलावा ही समझना तुमसे मेरा प्रेम
पर उससे सच्चा है जो कल रात चांद में प्रतिबिंब हुआ, नयनों के साथ फूल जूड़े से भी खोल गया
होगा मुश्किल मेरा एक और प्रेमी की प्रेमिका बन जाना, बहूरूप धर गोपियों संग रास रचा कन्हा बन जाना ,मुश्किल है मेरा इनसान से भगवान बन जाना ,
किसी की हो चुकी ऐ चांद तुम्हारी न बन पाऊंगी ,माफ करना ऐ चांद,वह पहला स्थान, तुम्हें ना दे पाऊंगी
रिक्त अब शेष नहीं , रिक्त अब शेष नहीं की स्थान तुम्हें दे पाऊंगी
प्रियंका सिन्हा